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خود شروع کردیم
زندگی
به پایان می رسیم
قصه بی پایان وز آغاز
جانان می رسیم
وانگه عشق
بی آغاز
در هستی نمی گنجد
حال هستیم یا نیستیم
بازآ به بنیان می رسیم
رضا فریدونی