ش | ی | د | س | چ | پ | ج |
1 | ||||||
2 | 3 | 4 | 5 | 6 | 7 | 8 |
9 | 10 | 11 | 12 | 13 | 14 | 15 |
16 | 17 | 18 | 19 | 20 | 21 | 22 |
23 | 24 | 25 | 26 | 27 | 28 | 29 |
30 | 31 |
آه ای خانه ات آباد، خراب
مثل یک تشنه ی نادیده سراب
عطش فقر
دمادم به لبم داده عذاب
خشت خشتش
بر تن دیوار ثواب
رج به رج
می رساند جان را
به سیلابی مهاب
بی پناهیم ...
غوطه
دربطن نقابیم هم سکوت...
بی طراوت ،بی سخاوت
سقف کوچک
آرزوهای محالِ کودک رنج...
آه ای خانه ات آباد، خراب
سپیده رسا