ش | ی | د | س | چ | پ | ج |
1 | 2 | 3 | 4 | 5 | ||
6 | 7 | 8 | 9 | 10 | 11 | 12 |
13 | 14 | 15 | 16 | 17 | 18 | 19 |
20 | 21 | 22 | 23 | 24 | 25 | 26 |
27 | 28 | 29 | 30 | 31 |
نه بی گدار به آبش زدم
دل خود را!
که در گمان من
او
مرد موج و دریا بود!
گناه چشم تو بود
و
گناه لبخندت!
که قدرتش
نه به رفتن،
نه بر تقلا بود..!
رقیه زبردستی