ش | ی | د | س | چ | پ | ج |
1 | 2 | 3 | 4 | 5 | ||
6 | 7 | 8 | 9 | 10 | 11 | 12 |
13 | 14 | 15 | 16 | 17 | 18 | 19 |
20 | 21 | 22 | 23 | 24 | 25 | 26 |
27 | 28 | 29 | 30 | 31 |
با برقِ یک نگاه،
دلِ سادهی من،
در برابرِ سِحرِ
منشورِ رنگیِ سایهها،
سیاهیِ غلیظِ مژهها
و
خطِ چشمهایی مسخشده
در انعکاسِ لنزها،
بیخبر
از همهجا،
حتی
تیرهای سمیِ کشیده در کمان
و
سگِ
چشمانِ شکارچی،
بار دیگر،
هر چه داشت، باخت
و
بیصدا،
شکار شد.
ناصر صابر