ش | ی | د | س | چ | پ | ج |
1 | 2 | |||||
3 | 4 | 5 | 6 | 7 | 8 | 9 |
10 | 11 | 12 | 13 | 14 | 15 | 16 |
17 | 18 | 19 | 20 | 21 | 22 | 23 |
24 | 25 | 26 | 27 | 28 | 29 | 30 |
31 |
مستانه و غرقِ در خیال
دویدم سویِ بیشه و دشت,
اَبرها ترانه میخواندند,
تُندَر ؛ سمفونیِ باران را فریاد می زد....
یک قطره باران,
رویِ گونه ام نشست,
آهسته و آرام,
دستِ نوازشش را بر روح و جانم کشید...
و من سر مست و عاشقانه,
دل به عشقِ بی ریایش سپردم....
سیمین دانشمند پور